CRACKDOWN REVIEW:निर्देशक अपूर्व लखिया की वेब सीरीज क्रैकडाउन देख कर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing) or RAW कोई केस न कर दे? कर भी दिया तो कोई हैरानी नहीं होगी| चलिए जानते है की वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज क्रैकडाउन (Crackdown) आपको देखनी चाहिए की नहीं ?

वेब सीरीज :क्रैकडाउन
ओटीटी प्लेटफार्म
: वूट सेलेक्ट
निर्देशक: अपूर्व लखिया
लेखक: सुरेश नायर, चिंतन
गांधी
कलाकार: साकिब सलीम, श्रिया
पिलगांवकर, इकबाल खान, वलुश्चा
डिसूजा, अंकुर भाटिया और राजेश तेलंग
रेटिंग:⭐⭐(2 स्टार्स)
वेब सीरीज :क्रैकडाउन
ओटीटी प्लेटफार्म
: वूट सेलेक्टनिर्देशक: अपूर्व लखिया
लेखक: सुरेश नायर, चिंतन गांधी
कलाकार: साकिब सलीम, श्रिया पिलगांवकर, इकबाल खान, वलुश्चा डिसूजा, अंकुर भाटिया और राजेश तेलंग
रेटिंग:⭐⭐(2 स्टार्स)
क्रैकडाउन समीक्षा
भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के ऊपर बॉलीवुड मे तमाम फिल्मे बन चुकी है जिनमे लेखक और निर्देशक की मेहनत और रीसर्च दिखती है की कैसे विपरीत परिस्थतियों मे एक रॉ एजेंट काम करता है क्या उसकी लाइफ होती है जिसे आप रीयल मे तो नहीं,लेकिन परदे पर तो महसूस कर सकते है|
लेकिन निर्देशक
अपूर्व लखिया काल्पनिक कहानी के सहारे जो
संदेश देना चाहते थे वो सही तरह से कनवे नहीं होता| 8 एपिसोड की वूट सेलेक्ट की क्रैकडाउन
वेब सीरीज अपने आधे सफर तक पहुंचते
ही दम तोड़ देती है आगे फास्ट फोरवॉर्ड कर इसे आप देख सकते है कहानी कही नहीं जाएगी
|
निर्देशक अपूर्व लखिया की वेब सीरीज क्रैकडाउन को देख कर साफ लगता है की रीसर्च और लेखन मे मेहनत नहीं की गई है | और ना ही किरदार को गढ़ने मे कोई दिलचस्पी दिखाई गई है | संवाद मे गाली का प्रयोग जबरदस्ती लगता है |
सिनेमॅटोग्राफी भी कुछ खास कमाल की नहीं है,ड्रोन से लिए गए सीन्स भी बचकाने से लगते है| कुल मिलकर गिसी पीटी कहानी जिसे हम कई बार देख चुके है उसके लिए दुबारा से 8 एपिसोड मे देखने का कोई कारण नहीं है | उम्मीद थी की साकीब सलीम रॉ एजेंट के किरदार मे कुछ कमाल करेंगे लेकिन उनका लचर और कमजोर अभिनय बोरियत को और बढ़ा देता है |
क्रैकडाउन की कहानी
कहानी की बात करे तो आज कल
तो सभी जान गए है की देश
को बाहरी खतरों से बचाने के लिए भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस
विंग (रॉ) ( Research and Analysis Wing) काम करती
है लेकिन जिस स्वरूप को निर्देशक
अपूर्व लखिया ने जिस छवि को दिखाने की कोशिश की उससे तो लगता है की
शायद उन्होंने होमवर्क नहीं किया था| चलो मान लेते है की नेशनल सिक्योरिटी (National
security)मे लगे सभी लोग साधु नहीं होते लेकिन इतने घटिया भी नहीं होते
जैसा की क्रैकडाउन मे दिखाया गया है
कहानी शुरू होती है First episode
“Dead on arrival’ से जहां दिल्ली मे रॉ एजेंट रियाज पठान उर्फ
RP (Saqib Saleem) के खुफिया मिशन से जहां भारत मे छिपे
एक आतंकवादी कैंप (Terrorist camp)पे धावा बोल कर उसका सफाया
कर देता है इस मिशन मे आतंकवादी केंप मे एक आम मारिया फ्रांसिस (Shriya
Pilgaonkar) नाम की महिला भी मारी जाती है | इसकी ख़बर वो अपने चीफ अश्वनी
(Rajesh Tailang) को देता है अश्वनी रियाज़ को कहता है तुम जानते
हो की क्या करना है ऐसे मिशन पर जब कोई सिविलियन मारता है |
कहानी आगे बढ़ती है तो पता चलता है की मारिया फ्रांसिस के पास से एक पेनड्राइव बरामद थी|जिसमे भारत के सभी रॉ एजेंटस(Raw agents) के साथ कई खुफिया जानकारी होती है| अब रियाज़ उर्फ RP को लगता है की आखिर मारिया ये पेनड्राइव किसको पहुचाने वाली थीं ??
इसका हाल पहले से लेखक Chintan
Gandhi,Suresh Nair ने डॉन फिल्म को देखकर खोज
रखा था लिहाज मारिया फ्रांसिस की हमशक्ल दिव्या (Shriya Pilgaonkar) की एंट्री होती है जो की पेशे से मेहंदी वाली है | अब शुरू होती है दिव्या
को अन्डरकवर एजेंट बनाने की प्रक्रिया| जिसे हम पहले भी कई फिल्मों मे देख चुके है|
ट्रेनिग के बाद दिव्या मारिया की जगह लेती है| इसके बाद क्या होगा आप बिना देखे ही
कयास लगा सकते है|
इस कहानी के अलावा क्रैकडाउन
मे कई ट्रैक है जिसे जबरदस्ती ठुँसा हुआ लगता है| जैसे जोरावर (Iqbal
Khan) के किरदार को ही देखे,जिसकी रियाज़ पठान से बिल्कुल नहीं बनती|
जोरावर रॉ चीफ अश्वनी से जूनियर है | वो रियाज़ और अश्वनी के प्लान को खराब करने का
कोई भी मौका नहीं छोड़ता|
आगे क्या होगा दिव्या का?जब
वो आतंकवादी खेमे मे मारिया बन कर जाएगी?क्या जोरावर रियाज़ को अपने मिशन मे कामयाब
होने देगा? जोरावर कौन सी ऐसी चाल चलेगा जिसके बाद वो रॉ चीफ की गद्दी पर बैठ जाता
है?
कुल मिलकर अगर आपने फैमिली
मैन और स्पेशल ऑप्स जैसी वेब सीरीज देखि है तो उसके सामने क्रैकडाउन काफ़ी
बचकानी लगेगी| आगे अगर इसके बाद भी आप इसे देखना चाहे तो देख सकते है| बाकी सर दर्द
की दवा लेकर ही बैठे कब आपको जरूरत पड़ जाए ?
अभिनय
निर्देशन
क्रैकडाउन
का निर्देशन लगान फ़ेम आशुतोष गोराविकर के अससिस्टेंट अपूर्व लखिया ने किया है | आप सोच रहे होंगे की मैंने इतना पुराना
परिचय क्यूँ दिया क्यूँ की तब से अब तक 17 साल हो गए है इस बीच उन्होंने अभिषेक और
अमिताभ बच्चन के साथ भी काम किया लेकिन अभी लगता है की मेच्योर होना बाकी है | सीरीज
देखते वक्त आपके जेहन मे कई सवाल कौंधते है जिनका जवाब की उम्मीद ना करते हुए आप इस
सीरीज को देखे तो ही अच्छा होगा|
कुल
मिलकर निर्देशन और कहानी मे कच्चापन लगा| जिसे बनाने से पहले मंथन कर के सुलझाया जा
सकता था |