Aashram Web Series Review:-एमएक्स प्लेयर (MX Player) की लेटेस्ट
वेब सीरीज आश्रम में बॉबी देओल के निराला बाबा के किरदार में आपको बाबा राम रहीम के
चरित्र की झलक देखने को मिलेगी| निर्देशक प्रकाश झा (Prakash Jha) ने 'आश्रम (Aashram)'
वेब सीरीज के जरिये आश्रम की आड़ में चल रहे है गोरखधंधे की पोल खोल
कर रख दी है | वहां कैसे आस्था, अपराध और राजनीति
का खेल रचा जाता है |

आश्रम समीक्षा
जिस प्रकार से OTT प्लेटफार्म की डिमाण्ड बढ़ी है उससे तो लगता
है की कई साल से खाली बैठे कलाकार को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित स्थान मिल गया
है | काफी अरसे से स्क्रीन से गायब बॉबी
देओल ने नेत्फ्लिक्स की क्लास ऑफ़ 83 से अपना डिजिटल डेब्यू किया | जिसमे उनके अभिनय
की काफी पसंद भी किया गया | तो वही प्रकाश झा भी ZEE5 पर ‘परीक्षा’ से अपना डिजिटल
खाता खोला था |
प्रकाश झा (Prakash
Jha) हमेशा से सामाजिक मुद्दों पर आधारित विषयों पर ही अपना फोकस
रखते है इसलिए इस बार एमएक्स प्लेयर (MX Player) वेब सीरीज 'आश्रम (Aashram)' के जरिये उन्होंने दिखाया की आस्था
के नाम पर मासूम लोगों की भावनाओं से कैसे खिलवाड़ किया जाता है | इतना ही नहीं
उन्होंने आश्रम के जरिये ढोंगी बाबाओं के राजनीती में दखल को भी बड़ी बखूबी से दिखाया गया है |
एक आम इंसान कैसे इन पाखंडी बाबाओ के आस्था, राजनीति और अपराध के मकड़ जाल में फंस कर अपना
सब कुछ दांव पर लगा देता है | वैसे कहानी की बात करे तो कही न कही निराला बाबा
(बॉबी देओल) का किरदार बाबा राम रहीम और आशा राम बापू के छवि का मिक्स्ड स्वरुप
है |
बॉबी देओल को निराला बाबा के रोल में देखना आपको थोडा सा आश्चर्य
लगेगा लेकिन बॉबी ने अच्छा काम किया है | उन्होंने कही पर भी अपने किरदार को
फिल्मी होने की छूट नहीं दी है | जिनका साथ भोपा बाबा बने चंदन रॉय सान्याल ने बखूबी निभाया है | जहाँ भी साइड
कलाकार का अभिनय का ग्राफ नीचे गिरा वहां चंदन रॉय सान्याल ने उसे संभाला है |
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निर्देशक प्रकाश झा ने आश्रम के राज़ खुलासे के चक्कर में कई जगह
सीरीज की कहानी को धीमा कर दिया है | जिसके कारण कई सीन रिपीटेशन के शिकार हो गए
है ,और सीरीज थोड़ी भोझिल हो जाती है |
आश्रम के 9 एपिसोड्स की सीरीज में कई सवालो के जवाब अधूरे रह गये है जिसे शायद
प्रकाश झा आश्रम के सेकंड भाग में पूरा करेंगे | खैर अभिनय और कहानी के हिसाब से
थोडा सा नया पन है जिसे फिल्मी तड़का न
लगाते हुए पेश किया गया है, और आश्रम की खूबी भी है |
आश्रम की कहानी
आश्रम की कहानी का बैकग्राउंड हरयाणा दिखाया गया है | जहाँ महिलाओ
का कुश्ती का दंगल चल रहा है| कहानी की शुरुवात में दिखाया गया है की पम्मी
पहलवान(अदिती पोहणकर) कड़ी मेहनत के बाद कुश्ती जीत जाती है लेकिन रेफरी उसे फाउल
देकर हरा देता है | जिसकी वजह है पम्मी का दलित होना| वो मन मसोस कर रह जाती है
क्यूंकि उसके करियर में ऊँची जाती के लोग रोड़ा बने हुए है |
फिर एक दिन जब पम्मी पहलवान के दोस्त की शादी हो रही होती है तो
वह घोड़ी पर बैठकर जाने की जिद करता है तमाम लोग मना करते है की ऐसा न करो ऊँची
बस्ती वाले बर्दास्त नहीं करेंगे | वो नहीं मानता बारात बड़ी धूम धाम से ऊँची बस्ती
से जैसे गुजरती है तो वहा बवाल हो जाता है | ऊँची जाति के लोग दुल्हे को बेरहमी से
पीट देते है |
तब उसे अधमरी हालत में अस्पताल ले जाया जाता है और पम्मी इस
घटना की रिपोर्ट थांने में लिखा देती है |
जिसके एवज में ऊँची जाती के लोग अस्पताल पे कब्ज़ा कर लेते है जिससे पम्मी के दोस्त
को इलाज़ न मिले | इस घटना की सूचना निराला बाबा के पास पहुचती है वो फ़ौरन अस्पताल
में आकर प्रताड़ित लोगों की मदद करते है | जिससे पम्मी पहलवान बड़ी प्रभावित होती
है और वो निराला बाबा की भक्त हो जाती है | क्यूंकि निराला बाबा अक्सर समाज में
दबे कुचले और प्रताड़ित लोगो की मदद करते है |
निराला बाबा इस तरह से समाज में सभी का दिल जीत लेते हैं| बस यही
से कहानी में किरदारों की कड़ी खुलती है | एक दिन जंगल पर अवैध तरीके से
कंस्ट्रक्शन की खुदाई के दौरान एक पिंजर निकलता है जो कहानी में निर्मल बाबा के
किरदार की डार्क साइड को उजागर करता है |
फिर शुरू होता है कहानी में राजनीति, आस्था और अपराध का वो घिनौना खेल जिसे देख कर आपकी आँखे भी
फटी की फटी रह जाएँगी |